कहाँ करें निवेश ? सुरक्षित अथवा लाभप्रद !

भारतीय अर्थव्यवस्था में ‘फिक्स्ड डिपॉजिट’ (FD) एक महत्वपूर्ण निवेश विकल्प है, जो निवेशक को निर्धारित अवधि के लिए धन जमा करने का अवसर प्रदान करता है। यह एक सुरक्षित और स्थिर निवेश होता है, जो भारतीय समृद्धि की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करता है।

फिक्स्ड डिपॉजिट क्या है ?

फिक्स्ड डिपॉजिट एक ऐसा वित्तीय उपाय है, जिसमें एक निवेशक एक निर्धारित राशि को निर्धारित समय के लिए बैंक में जमा करता है l बैंक उसे निर्धारित दर पर ब्याज देता है। इसमें निवेशक, एक सुरक्षित और निश्चित रिटर्न की उम्मीद कर सकता है।

फिक्स्ड डिपॉजिट की महत्वपूर्णता:

सुरक्षित निवेश:

फिक्स्ड डिपॉजिट विभिन्न हालातों में महत्वपूर्ण साबित होता हैं, यह निवेशकों को सुरक्षा का अनुभव कराता है l बैंक के डिपॉजिट रेट्स का स्थिर होना इसे एक सुरक्षित विकल्प बनाता है।

निर्धारित ब्याज दरें:

फिक्स्ड डिपॉजिट में निर्धारित समयावधि के लिए निवेश करने के कारण, निवेशक ब्याज दर की सुरक्षा के साथ निर्धारित रिटर्न की उम्मीद कर सकता है।

निवेश की सरलता:

फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करना आसान है, और इसमें कोई ज्यादा तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती। यह विभिन्न आवधियों के लिए उपलब्ध है l व्यक्तियों को उनकी आर्थिक लक्ष्यों के अनुसार चयन करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।

फिक्स्ड डिपॉजिट के प्रोस और कॉन्स:

प्रोस:

सुरक्षित निवेश:

फिक्स्ड डिपॉजिट विश्वसनीय और सुरक्षित निवेश है, जिससे निवेशक किसी भी निर्णय से पहले अपनी निवेश की सुरक्षा की चिंता किए बिना राशि जमा कर सकता है।

निर्धारित ब्याज दर:

बैंक निवेशकों को निर्धारित ब्याज दर पर रिटर्न प्रदान करता है, जिससे वे अपने निवेश लक्ष्यों का सही से आकलन कर सकते हैं।

टैक्स बचत:

फिक्स्ड डिपॉजिट से मिलने वाले ब्याज पर टैक्स बचत होती है l क्योंकि इसमें निर्धारित सीमा के अंदर ब्याज को टैक्स के लिए आवंटित किया जाता है।

कॉन्स:

निर्धारित अवधि:

फिक्स्ड डिपॉजिट का एक कॉन है, कि निवेशकों को निर्धारित अवधि के लिए धन जमा करना पड़ता है l पूर्व-निर्धारित अवधि के पहले ही जमा राशि निकालने पर पेनाल्टी जमा करना पड़ता है, जो मुख्यतः इंटरेस्ट रेट में कटौती के तौर पर होती हैं l

कम लाभ:

अन्य निवेश विकल्पों की तुलना में, फिक्स्ड डिपॉजिट का लाभ सामान्यत: कम होता है। इसके ब्याज दरें अक्सर अन्य निवेश विकल्पों की तुलना में कम होते हैं।

टैक्स का प्रभाव:

फिक्स्ड डिपॉजिट के ब्याज पर लगने वाला टैक्स इसके लाभों को प्रभावित कर सकता है। भारतीय कर नियमों के अनुसार, जब एक व्यक्ति फिक्स्ड डिपॉजिट से ब्याज कमाता है, तो उसे इस पर आय कर देना पड़ सकता है।

फिक्स्ड डिपॉजिट से मिलने वाली ब्याज को “इनकम-टैक्स एक्ट, 1961” के प्रावधानों के तहत “अन्य स्रोतों से आय” के रूप में कर लगता है। यदि वित्त वर्ष में ब्याज की राशि 10,000 रुपये से अधिक होने की संभावना है, तो बैंक ब्याज पर 10% का टीडीएस काट सकता है। यदि किसी व्यक्ति ने एक बैंक में पांच वर्ष से अधिक समय के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश किया है, तो वह इस पर 1,50,000 रुपये तक का कर छूट प्राप्त कर सकता है।

इसके अलावा, वरिष्ठ नागरिकों को आयकर छूट की सुविधा है l जिसके अनुसार वित्तीय वर्ष 2018-19 से फिक्स्ड डिपॉजिट से मिलने वाले ब्याज पर 80TTB अधिनियम के तहत 50,000 रुपये तक की छूट प्राप्त की जा सकती है।


फिक्स्ड डिपॉजिट से मिलने वाली ब्याज पूरी तरह से कर लगता है। इसे अपनी कुल आय में जोड़ें और अपनी कुल आय पर लागू स्लैब दरों के तहत कर लगाएं। इसे आपकी इनकम टैक्स रिटर्न में ‘अन्य स्रोतों से आय’ के तहत रिपोर्ट करना होता है।

यदि ब्याज की राशि सीनियर सिटिजन के बाहर एक व्यक्ति के लिए 40,000 रुपये से अधिक है (वरिष्ठ नागरिक के मामले में यह सीमा 50,000 रुपये है), तो बैंक आपके खाते में ब्याज क्रेडिट करने के समय टैक्स काट सकता है।

इसलिए याद रखना चाहिए कि टीडीएस ब्याज क्रेडिट करने के समय कटता है, और यह नहीं कि जब एफडी पूरी होती है। तो, यदि आपके पास 4 साल के लिए एफडी है – बैंक हर वर्ष के अंत में टीडीएस काटेगा l

समापन:

फिक्स्ड डिपॉजिट भारतीय निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण और सुरक्षित निवेश विकल्प है, लेकिन इसके प्रोस और कॉन्स को ध्यान में रखकर निवेशकों को योजना बनानी चाहिए। यह एक स्थिर और सुरक्षित विकल्प है, जो व्यक्तियों को उनकी आर्थिक स्थिति को सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है।

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