तनाव : रोग या दर्द ?

सुख के सब साथी, दुख में ना कोई

मेरे राम, मेरे राम

तेरा नाम एक सच्चा, दूजा ना कोई

मोहम्मद रफी द्वारा गाये, इस गीत को आपने कभी-न-कभी जरूर गुनगुनाया होगा l इस दुनिया की चकाचौंध ने, सच मे रिश्तों की मिठास खत्म कर दी हैं l लोगो के पास इतना समय नहीं हैं, जो अपने बड़े बुजुर्गों से बात करके, दिल हल्का हो जाये l वो चौपाल नहीं बची, जहां सब बैठकर,एक दूसरे का सुख-दुख सुनें l बच्चो के पास दादी नानी की कहानियाँ नहीं बची, जिसकी वजह से बच्चे मोबाइल पे ज्यादा वक़्त बिता रहें हैं l जिसका नतीजा रोगों के रूप मे सामने आ रहा हैं l

आज की दुनिया में तनाव की नई बीमारी: डिप्रेशन और एंग्जाइटी


आज की भागदौड़ वाली जिंदगी में हम सब बहुत कुछ हासिल करने की कोशिश में लगे रहते हैं l अच्छी नौकरी, बड़ा घर, गाड़ी, शानो-शौकत, सुख-सुविधा | ये सब पाने की लगातार कोशिश, हमें मानसिक रूप से थका देती है l इसी थकान के चलते कुछ लोगों को आजकल दो ऐसी बीमारियां हो रही हैं, जिनका नाम सुनकर ही घबराहट होती है – डिप्रेशन और एंग्जाइटी
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डिप्रेशन क्या है ?

डिप्रेशन को हिंदी में उदास या हताशा कह सकते हैं l इसमें व्यक्ति को लगता है, कि सबकुछ बेकार है, वो कुछ नहीं कर सकता, जीवन में कुछ अच्छा नहीं होगा l उन्हें खुशी महसूस नहीं होती, हर काम मुश्किल लगता है, और सोने में भी तकलीफ होती है l

एंग्जाइटी क्या है ?

एंग्जाइटी को घबराहट या बेचैनी कह सकते हैं l इसमें व्यक्ति को अचानक से बहुत तेज दिल धड़कने, सांस तेज चलने, पसीना आने या घुटन जैसा महसूस होता है l बिना किसी वजह के डर बना रहता है, और छोटी-छोटी बातों से ही घबराहट होने लगती है l

भारत में क्यों बढ़ रही हैं ये बीमारियां ?

पढ़ाई का दबाव:

बच्चों पर पढ़ाई का बहुत दबाव होता है l अच्छे नंबर लाने की जुनून में वो तनाव महसूस करते हैं, जिससे उन्हें एंग्जाइटी और डिप्रेशन हो सकता है l


नौकरी का तनाव:

नौकरी पाने की चिंता, जॉब सिक्योरिटी, टारगेट पूरा करने का दबाव, ऑफिस पॉलिटिक्स l ये सब लोगों को मानसिक रूप से परेशान करते हैं, और डिप्रेशन का कारण बन सकते हैं l


रिश्तों की टूटन:

परिवार में झगड़े, तलाक, किसी प्रियजन का खोना, ये सब भी लोगों को डिप्रेशन में डाल सकते हैं l


सोशल मीडिया का प्रभाव:

सोशल मीडिया पर दिखावटी दुनिया देखकर कई लोग असुरक्षित महसूस करते हैं l उन्हें लगता है कि वो दूसरों के मुकाबले कुछ नहीं हैं, जिससे उनमें हताशा और डिप्रेशन बढ़ता है l


इससे कैसे बचा जाए ?

खुद पर दबाव न लें:

हर काम को हल्के से लेने की कोशिश करें. हर चीज में 100% देने की कोशिश न करें. अपनी क्षमता के मुताबिक काम करें और खुद को स्वीकारें l


हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं:

खूब पानी पिएं, पौष्टिक खाना खाएं, नियमित रूप से योगा या एक्सरसाइज करें. अच्छी नींद भी बहुत जरूरी है l


अपनों से बात करें:

अपने मन की बात दोस्तों, परिवार या किसी डॉक्टर से शेयर करें. अंदर दबाकर रखने से समस्या और बढ़ेगी l


प्रोफेशनल मदद लें:

अगर आपको लगता है कि आप खुद को संभाल नहीं पा रहे हैं, तो किसी योग्य डॉक्टर से सलाह लें. डिप्रेशन और एंग्जाइटी का इलाज संभव है, इसके लिए घबराएं नहीं.

निष्कर्ष:

याद रखें, डिप्रेशन और एंग्जाइटी हर किसी को हो सकती हैं, ये कोई कमजोरी नहीं है l इन्हें समय पर पहचानें और सही कदम उठाएं, तो इनसे बचा जा सकता है l अपनी और अपने परिवार की मानसिक सेहत का ख्याल रखें, खुश रहें, स्वस्थ रहें l

नोट: ये लेख जानकारी देने के लिए है, मेडिकल सलाह के लिए किसी योग्य डॉक्टर से संपर्क करें.

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