बचपन पे कोचिंग का साया ?

भारत में कोचिंग संस्थानों के लिए सरकार के नए दिशा-निर्देश

छात्रों पर लगातार बढ़ते उम्मीदों के बोझ, खुद को साबित करने की होड़ और छोटी उम्र में निराशा से पार ना पाने पर। खुद को चोट पहुंचाने से लेकर, डिप्रेशन और चिंता का शिकार होने तक। उसी निराशा अथवा घुटन में जीने को विवश होने तक। कहीं न कहीं, इन्हीं बातों ने सरकार को इतने कड़े कदम उठाने पर विवश कर दिया है ।

भारत सरकार ने कोचिंग संस्थानों के लिए नए दिशा-निर्देश लागू किए हैं, जो छात्रों के कल्याण, पारदर्शिता और नैतिक व्यवहार के विभिन्न मुद्दों को संबोधित करते हैं। यहाँ प्रमुख बिंदुओं का सारांश है:

छात्र सुरक्षा:

न्यूनतम आयु:

कोचिंग संस्थान 16 साल से कम उम्र के छात्रों या उन छात्रों का नामांकन नहीं कर सकते हैं। जिन्होंने कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है। इसका उद्देश्य छोटे छात्रों पर दबाव कम करना है।


मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान:

दिशा-निर्देश संस्थानों को समर्पित परामर्शदाता उपलब्ध कराने और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को संबोधित करने के लिए, तनाव-प्रबंधन कार्यक्रम लागू करने का आदेश देते हैं।


भ्रामक दावों का निषेध:

प्रतियोगी परीक्षाओं में विशिष्ट रैंक या उच्च अंक की गारंटी सख्त वर्जित है। संस्थानों को सत्यनिष्ठ और जिम्मेदारी से विज्ञापन देना चाहिए।


सुरक्षित शिक्षण वातावरण:

अग्नि सुरक्षा और भवन कोड का सख्त पालन अनिवार्य है, साथ ही उचित प्रकाश, वेंटिलेशन और सुरक्षा उपाय भी.


पारदर्शिता और नैतिक व्यवहार:

पंजीकरण आवश्यकता:

सभी कोचिंग संस्थानों को सरकार के पास पंजीकरण करना होगा और एक वेबसाइट बनाए रखनी होगी। जिसमें ट्यूटर की योग्यता, पाठ्यक्रम विवरण, शुल्क और छात्रावास सुविधाओं के बारे में अद्यतन जानकारी हो।


शिक्षक योग्यता:

ट्यूटर के पास कम से कम स्नातक की डिग्री होनी चाहिए। आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को शामिल करना प्रतिबंधित है।


निष्पक्ष शुल्क और रिफंड:

स्पष्ट शुल्क संरचना और पारदर्शी रिफंड नीतियां अनिवार्य हैं। अत्यधिक शुल्क की अनुमति नहीं है।


नियमन और दंड:

दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए 25,000 रुपये से लेकर पंजीकरण रद्द करने तक का जुर्माना लगाने की व्यवस्था है।


अतिरिक्त बिंदु:

  • कक्षा का समय नियमित स्कूल के समय से नहीं टकराना चाहिए और आराम और साप्ताहिक छुट्टियों की अनुमति देनी चाहिए ।

  • व्यक्तिगत ध्यान सुनिश्चित करने के लिए एक स्वस्थ शिक्षक-छात्र अनुपात को प्रोत्साहित किया जाता है।

  • संस्थानों को प्रगति का संचार करने और चिंताओं को दूर करने के लिए समय-समय पर माता-पिता-शिक्षक बैठक आयोजित करनी चाहिए।


ये नए दिशा-निर्देश भारत में कोचिंग संस्थानों के लिए एक अधिक विनियमित और जिम्मेदार वातावरण बनाने का लक्ष्य रखते हैं, जिसमें छात्रों के कल्याण और नैतिक व्यवहार को प्राथमिकता दी जाती है

मुझे आशा है कि यह जानकारी सहायक है !

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