सहारा ग्रुप के निवेशकों के लिए बड़ी खुशखबरी l माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 29 मार्च 2023 को केंद्र की उस याचिका को अनुमति दे दी l जिसमें सहारा समूह द्वारा सहकारी समितियों के जमाकर्ताओं का बकाया चुकाने के लिए, बाजार नियामक सेबी के पास जमा किए गए 24,000 करोड़ रुपये में से 5,000 करोड़ रुपये आवंटित करने की मांग की गई थी l यह सहारा के निवेशकों के लिए एक बड़ी जीत हैं, जो वर्षों से अपना पैसा वापस पाने का इंतजार कर रहे थे l
विवरण
अखिरकार सहारा ग्रुप के विभिन्न कंपनियों के, निवेशकों के हक में एक महत्वपूर्ण अथवा ऐतिहासिक फैसला आया l लंबे अर्से से चल रहे कानूनी लड़ाई और कानूनी जटिलताओं का शिकार हुए, निवेशकों के मन में कहीं न कही निराशा घर कर गई थी l जिस तरह के कठिनाइयों से निवेशकों को दो चार होना पड़ा हैं,उसका विवरण दे पाना अत्यंत कठिन है l
माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह निर्देश पिनाक पानी मोहंती नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका आवेदन पर आया l जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था, की विभिन्न चिट फंड और सहारा क्रेडिट फर्मों में निवेश करने वाले जमाकर्ताओं को राशि का भुगतान करने का आदेश पारित हो l
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा की वर्तमान आवेदन में मांगी गई प्रार्थना उचित प्रतीत होती है, और यह व्यापक सार्वजनिक हित और सहारा समूह की सहकारी समितियों के वास्तविक जमाकर्ताओं के हित में होगी।
“सहारा-सेबी रिफंड खाते’ में पड़ी 24,979.67 करोड़ रुपये की कुल राशि में से, 5000 करोड़ रुपये सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार को हस्तांतरित किए जाएंगे, जो बदले में, जमाकर्ताओं के वैध बकाया के खिलाफ इसे वितरित करेंगे। सहारा समूह की सहकारी समितियों को वास्तविक जमाकर्ताओं को सबसे पारदर्शी तरीके से और उचित पहचान पर भुगतान किया जाएगा, ”पीठ ने कहा।
शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि संपूर्ण वितरण प्रक्रिया की निगरानी शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश आर सुभाष रेड्डी द्वारा अधिवक्ता गौरव अग्रवाल की सहायता से की जाएगी l जिन्हें न्यायमूर्ति रेड्डी के साथ-साथ सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार की सहायता के लिए न्याय मित्र नियुक्त किया गया है l
क्या है पूरी कहानी ?
यह मामला 2009 में शुरू हुआ, जब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आरोप लगाया कि सहारा ने वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर (ओएफसीडी) के माध्यम से निवेशकों से अवैध रूप से धन जुटाया था। उनका मानना था कि सहारा ग्रुप की कुछ कंपनियों ने सही ढंग से प्रक्रिया का पालन किये बिना निवेशकों से धन जुटाया है l
सेबी ने सहारा को निवेशकों को 15% ब्याज के साथ पैसा लौटाने का आदेश दिया। जिसके उपरान्त सहारा ने सेबी के आदेश को अदालत में चुनौती दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2012 के अपने आदेश में सेबी द्वारा की गयी कारवाई को उचित ठहराया l
2014 में, सहारा के अध्यक्ष सुब्रत रॉय को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेशों का पालन करने में विफल रहने के कारण गिरफ्तार कर लिया था। 2016 में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।अभी भी कोर्ट में सुनवाई चल रही हैं l
निष्कर्ष
सहारा परिवार भारतवर्ष के आसमान में वो जगमाता सितारा था l जिसकी रोशनी लगातार धुमिल होती जा रही है l यह काफी चिंताजनक अथवा निराशा की बात हैं l एक वक्त पर इस ग्रुप ने लाखों लोगों को रोज़गार मुहैया कराया था l लगातार कानूनी पचड़ों में फंस कर इस ग्रुप की छवि को काफी चोट पहुंची है l सबसे ज़्यादा छती उन करोड़ों निवेशकों को पहुंचा है,जिनको सहारा परिवार पर अटूट विश्वास था l कही न कही, मौजूदा हालात में सर्वोच्य न्यालय द्वारा पारित किया गया फ़ैसला, इन निवेशकों के लिए एक उम्मीद की किरण हैं l